अहमदाबाद, 6 जून, 2019 (युवाप्रेस डॉट कॉम)। मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल जनता के लिये फायदेमंद सिद्ध हो रहा है। विशेषकर बैंक ग्राहकों के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ओर से अच्छी खबर आई है। रिज़र्व बैंक ने नई मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में पाँच बड़े फैसले लिये हैं, जिनका यदि बैंकों ने अपने ग्राहकों को फायदा दिया तो ग्राहकों को काफी लाभ होगा। आइये जानते हैं आरबीआई ने कौन-कौन से पाँच बड़े फैसले किये हैं।
रेपो रेट में कटौती से ईएमआई में मिल सकती है राहत

भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की ओर से रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की गई है, इससे रेपो रेट की दर घटकर 5.75 प्रतिशत हो गई है। यदि बैंकों ने इसका लाभ अपने ग्राहकों को दिया तो विविध प्रकार के लोन लेने वाले ग्राहकों को उनकी ईएमआई में बचत का लाभ मिल सकता है। एमपीसी ने इससे पहले की दो समीक्षा बैठकों के बाद भी 0.25 बेसिक प्वाइंट्स की कटौती की थी। अब जून में हुई एमपीसी की तीसरी बैठक में लगातार तीसरी बार रेपो रेट की दर में कटौती की गई है।
NEFT और RTGS के चार्ज समाप्त

बैंकों के खातों में जो फंड ट्रांसफर होते हैं। यानी नेशनल इलेक्ट्रोनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) और रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) के लिये आरबीआई बैंकों से एक न्यूनतम चार्ज वसूल करता था, परंतु अब आरबीआई ने यह चार्ज खत्म कर दिया है। इससे बैंकों को लाभ होगा। हालाँकि बैंक यह चार्ज ग्राहकों से वसूल करते हैं। यदि बैंक ग्राहकों से यह चार्ज लेना बंद कर दें तो ग्राहकों को इस चार्ज से छुटकारा मिल सकता है। इस बारे में जल्दी ही आरबीआई बैंकों के लिये एक निर्देश जारी करेगा, जिसके बाद बैंक ग्राहकों से यह चार्ज लेना बंद कर सकते हैं।
ATM का चार्ज हटाने पर भी विचार

देश में नकद रकम की निकासी के लिये ऑटोमेटिक टेलर मशीन (ATM) का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। अभी तक मूल बैंक या अन्य बैंकों के एटीएम से नकद रकम की निकासी पर चार्ज लिया जाता है। यह चार्ज हटाने की लगातार माँग की जा रही है। इसे देखते हुए रिज़र्व बैंक ने सभी पक्षों को शामिल करके एक समिति बनाने का निर्णय किया है, जो एटीएम पर लगने वाले सभी प्रकार के चार्ज और फीस पर विचार करेगी। यह समिति विचार-विमर्श करने के बाद दो महीने में अपनी सिफारिश आरबीआई को सौंपेगी, जिसके आधार पर आरबीआई एटीएम से नकद की निकासी पर लिये जाने वाले चार्ज तथा अन्य फीस के बारे में उचित निर्णय करेगी।
आरबीआई के अनुसार वैश्विक अर्थ व्यवस्था में सुस्ती

आरबीआई की एमपीसी के अनुसार व्यापार और मैन्युफैक्चरिंग की गतिविधियों में सुस्ती के कारण वैश्विक आर्थिक गतिविधियाँ भी सुस्त होने लगी हैं। एमपीसी के अनुसार कुछ समय पहले तक इनमें सुधार देखा गया था। पहली तिमाही में अमेरिका में आर्थिक गतिविधियाँ जरूर कुछ मजबूत हुई हैं, परंतु यूरोप में यह कमजोर हुई हैं।
भारत में GDP की दर अनुमान से कम

आरबीआई के अनुसार भारत में 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकासदर अनुमान से कम रही है। जीडीपी का विकास 7 प्रतिशत की दर से होने का अनुमान लगाया गया था, परंतु यह विकास 6.8 प्रतिशत की दर से हुआ। आरबीआई के अनुसार निजी निवेश खर्च में आई गिरावट और निर्यात की गति भी सुस्त रहने से 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी से गिरावट आई और इस तिमाही में जीडीपी का विकास मात्र 5.8 प्रतिशत की दर से हुआ।