हम सभी जानते हैं कि पेड़ हमारे जीवन के लिए कितने जरुरी है, लेकिन हम में से कितने लोग पेड़ लगाते हैं, शायद गिने-चुने और वो भी इक्का-दुक्का पेड़। लेकिन आज हम जिस महिला के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, उनका पूरा जीवन ही प्रकृति को समर्पित हो गया है। जी हां, कर्नाटक की रहने वाली ‘सालुमारदा’ थिमक्का अब तक करीब 8000 पेड़ लगा चुकी हैं और इनमें से करीब 400 पेड़ बरगद के हैं। आज थिमक्का के प्रयासों से 4 किलोमीटर का इलाका इतना हरा-भरा हो गया है कि वहां से गुजरना इतनी खुशी और असीम शांति देता है कि वह अनुभव लाइफ-टाइम के लिए यादगार बन जाता है।
शुरुआती कहानी
सालुमारदा थिमक्का का जन्म कर्नाटक के बेंगलुरु जिले के हुलीकल गांव में एक गरीब परिवार में हुआ। थिमक्का ने कोई स्कूली शिक्षा हासिल नहीं की। जैसी ही थिमक्का 20 साल की हुईं तो उनकी शादी हो गई। थिमक्का के पति बिक्कालु चिकईया एक पशु चरवाहे थे। जिन्दगी अपने ढर्रे से बीत रही थी कि एक दिन पता चला कि थिमक्का कभी मां नहीं बन सकेंगी। इसके बाद थिमक्का के ससुराल वालों का व्यवहार थिमक्का के प्रति बदल गया और उन्हें मां ना बन पाने के कारण आए दिन ताने-सुनने को मिलने लगे। हालात यहां तक पहुंच गए कि थिमक्का ने एक दिन आत्महत्या करने का मन बना लिया। लेकिन ऐसे हालातों में थिमक्का के पति ने उनका साथ दिया। इसके बाद दोनों दंपत्ति ने पेड़ लगाने का फैसला किया और उनकी देखभाल अपने बेटों की तरह करने लगे।
आम महिला से ‘सालुमारदा’ बनने की कहानी
समय के साथ-साथ थिमक्का का पेड़ों के प्रति प्यार बढ़ने लगा। सुबह में दोनों पति-पत्नी खेतों में काम करते और दोपहर बाद सड़क किनारे पेड़ लगाते। थिमक्का अपने बच्चों की तरह पेड़ों का ध्यान रखती थी। उनकी कोशिशों का ही नतीजा रहा कि आज उनके लगाए पेड़ 4 किलोमीटर में इलाके में ऐसे फैल गए हैं कि उस जगह जाकर प्रकृति का हिस्सा होने का एहसास खुद-ब-खुद जाग जाता है।
आज थिमक्का 106 साल की हैं और उनके पेड़ों के प्रति प्यार को देखते हुए लोग उन्हें ‘सालुमारदा थिमक्का’ कहकर पुकारते हैं। कन्नड़ भाषा में सालुमारदा का मतलब ‘पेड़ों की पंक्ति’ होता है। साल 1991 में थिमक्का के पति की मौत हो गई, लेकिन उसके बाद भी थिमक्का का पेड़ों के प्रति प्रेम जारी रहा। साल 1994 में एक राजनेता ने थिमक्का के प्रयासों को नोटिस किया और उसके बाद मीडिया की नजर उन पर पड़ी। इसके बाद थिमक्का की Inspiring story के बारे में पूरे देश को पता चला।
1996 में थिमक्का को National Citizen Award से नवाजा गया। साल 2015 में सालुमारदा थिमक्का के जीवन पर लिखी गई किताब ‘सालुमारदा सारादारानी’ लॉन्च हुई। साल 2016 में ‘बीबीसी’ ने सालुमारदा को दुनिया कि 100 प्रभावशाली महिलाओं में शामिल किया। कर्नाटक सरकार ने भी सालुमारदा थिमक्का के नाम पर प्रकृति संरक्षण के लिए कई योजनाएं संचालित की है।