यह एक कटु सत्य है कि कोई भी व्यक्ति हर व्यक्ति को खुश नहीं कर सकता। प्रत्येक व्यक्ति का एक चाहने वाला वर्ग होता है, तो एक आलोचक वर्ग भी होता ही है। हम रामराज्य की बातें करते हैं, लेकिन भगवान राम को पूजने वाला वर्ग है, तो एक वर्ग ऐसा भी तो है जो भगवान राम की आलोचना करने से बाज़ नहीं आता है। हम यह बात इसलिये कर रहे हैं कि वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर भी अलग-अलग वर्गों की अलग-अलग राय है। कोई उनकी प्रशंसा करता है, तो कई लोगों का एकमात्र एजेंडा उनकी कमियों को ढूँढना है।
मीडिया में मोदी को लेकर जहाँ लोगों को कुछ सकारात्मक खबरें देखने-सुनने-पढ़ने को मिलती हैं, वहीं कुछ मीडिया हाउस मोदी के काम करने की शैलीलेकर समालोचक खबरें प्रसारित करते हैं या ये भी कह सकते हैं कि केवल नकारात्मकता को ही देखते हैं और वही दिखाते भी हैं। इसका कारण क्या है ? दरअसल मीडिया में भी एक ऐसी लॉबी है, जिसे फूटी आंख नहीं सुहाते नरेन्द्र मोदी। जाहिर है कि जो लॉबी मोदी या उनके काम करने के तौर-तरीकों को पसंद नहीं करती है, उसकी नकारात्मकता उस लॉबी में शामिल पत्रकारों की खबरों में प्रतिबिंबित होती है।

क्यों नाराज़ है यह लॉबी ?
दरअसल जब देश के प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर जाते हैं तो उनके साथ उनके अपने अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल तो होता ही है। साथ ही पत्रकारों का दल भी उनके साथ जाता है, जो प्रधानमंत्री के दौरे और वहां की गई बातचीतों, बैठकों, मुलाकातों की कवरेज करता है। ऐसे ही दल में कई प्रधानमंत्रियों के साथ विदेश दौरे कर चुके DDNEWS HINDI के वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव बताते हैं कि क्यों 2014 के बाद सब कुछ बदल गया और जिसके कारण कुछ पत्रकारों की यह लॉबी मोदी से नाराज़ हो गई ?

श्रीवास्तव के अनुसार 2014 में मोदी सरकार के आने से पहले तक जब पत्रकार तत्कालीन प्रधानमंत्रियों के साथ विदेश दौरों पर जाते थे तो विमान से लेकर होटलों में खाने-पीने से लेकर बीयर और शराब तक का लुत्फ उठाते थे। प्रधानमंत्री सुबह बैठक करते थे, तो शाम को पत्रकार फ्री होते थे और विदेशों में घूमने-फिरने का आनंद लेते थे, लेकिन मोदी सरकार में न सिर्फ यह सारी सुविधाएँ मिलना बंद हो गईं, बल्कि मोदी के लगातार मुलाकातों, मीटिंगों में व्यस्त रहने से पत्रकारों को विदेशी दौरों में घूमने-फिरने का भी आनंद उठाने का मौका ही नहीं मिल पाता। मीडिया सेन्टर में बीयर और शराब के स्थान पर सिर्फ चाय और बिस्कुट ही मिलते हैं। सारी सुविधाएँ छिन जाने से पत्रकारों की एक ऐसी लॉबी जो यह सारे मज़े लूटने के लिये ही विदेश दौरों में शामिल होती थी, वह क्षुब्ध है। सोचिये जहाँ बीयर और शराब पीने को मिलती थी, वहाँ अब केवल चाय-बिस्कुट मिलेगा और घूमने-फिरने की छूट के बजाय लगातार काम करने का दबावहोगा तो कामचोरी करने वाली जाहो-जलाली की शौकीन यह लॉबी भला खुश कैसे हो सकती है। हैं।
आप स्वयं इस VIDEO पर क्लिक कर अशोक श्रीवास्तव के मुँह से सुनिए मोदी पीड़ित पत्रकार लॉबी की व्यथा :