ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आयोजन की सैकड़ों साल की परंपरा जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कुछ शर्तों के साथ इसकी अनुमति दे दी है। इसी के साथ कल मंगलवार को रथ यात्रा निकलेगी।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
तीन जजों की पीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि रथ यात्रा का आयोजन मंदिर समिति, राज्य और केंद्र सरकार के आपसी सामंजस्य के साथ होगा। इस दौरान स्वास्थ्य मुद्दे को लेकर कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। साथ ही अदालत ने कहा है कि अगर राज्य सरकार को लगता है कि स्थिति उसके नियंत्रण से बाहर जा रही है, तो वह इस पर रोक लगा सकता है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट की एकल पीठ ने 18 जून को सुनवाई करते हुए रथ यात्रा के आयोजन को मंजूरी नहीं दी थी। इसके बाद दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने तीन जजों की पीठ को यह मामला सौंपा था। चीफ जस्टिस ने हालांकि स्पष्ट कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट सिर्फ पुरी में रथ यात्रा को लेकर ही सुनवाई करेगा, ओडिशा में अन्य जगहों की रथ यात्राओं को लेकर नहीं।
इससे पहले आज केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में पुरी रथ यात्रा मामले का उल्लेख करते हुए कहा था कि लोगों की भागीदारी के बिना इसके आयोजन की अनुमति दी जा सकती है। ओडिशा सरकार ने कुछ प्रतिबंधों के साथ पुरी रथ यात्रा के आयोजन के उच्चतम न्यायालय के मत का समर्थन किया।
सिर्फ जिम्मेदार लोगों को रथयात्रा में रखा जाए
याचिकाकर्ता के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि हम यात्रा में लोगों को सीमित कर सकते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यात्रा को Micro Manage नहीं कर सकती है ये राज्य सरकार पर छोड़ती है। याचिकाकर्ता उड़ीसा विकास परिषद की ओर से रंजीत कुमार ने कहा कि सिर्फ जिम्मेदार लोगों को रथयात्रा में रखा जाए। सभी को इजाजत दी गई तो ज्यादा भीड़ होगी। तब साल्वे ने कहा कि राज्य सरकार मामले में जिम्मेदारी निभाएगी। राज्य सरकार हेल्थ मुद्दे से लेकर Safety Guidelines देखेगी। तमाम नियमों का कड़ाई से पालन होगा। तुषार मेहता ने कहा कि गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन होगा।