जगन्नाथ रथयात्रा पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद उड़ीसा सरकार ने मंदिर समिति और जिला प्रशासन को इसका पालन करने की हिदायत दी है। गुरुवार रात को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई और इसमें फैसला लिया गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया जाएगा।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की पीठ ने मौजूदा स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए रथ यात्रा के आयोजन पर रोक लगाते हुए कहा, “रथ यात्रा और उससे जुड़ी गतिवधियों के कारण बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। अगर हमने इसकी इजाजत दी तो प्रभु जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।”
प्रभु जगन्नाथ की इस रथ यात्रा का भक्तों को साल भर इंतजार रहता है। 10 दिन तक चलने वाले आयोजन में देशभर से लाखों लोग जुटते हैं और रथ यात्रा में शामिल होते हैं। इसमें प्रभु जगन्नाथ के 45 फुट लंबे रथ को खींचा जाता है।
सरकार ने जिला कलेक्टर को भी निर्देश दिए हैं कि रथयात्रा पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया जाए। सरकार ने सलाह दी है कि रथयात्रा से जुड़ी परंपराओं को मंदिर के अंदर ही पूरा किया जाए। इधर, पुरी में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 12 घंटे का बंद रखा गया है।
एक जनहित याचिका की सुनवाई में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने रथयात्रा नहीं निकालने का फैसला किया था। इस फैसले के विरोध में श्रीजगन्नाथ सेना और श्रीक्षेत्र सुरक्षा वाहिनी नाम की दो संस्थाओं ने पुरी बंद बुलाया है। पुरी शहर शुक्रवार सुबह 6 बजे से रथयात्रा पर रोक के विरोध में बंद है।
रथनिर्माण धीमा पड़ा
सुप्रीम कोर्ट और उड़ीसा सरकार के फैसले के बाद रथ निर्माण धीमा पड़ गया है। लगभग 40 दिन से रथ बनाने में जुटे 150 कारीगरों का उत्साह खत्म सा हो गया है। हालांकि, वे रथ को अभी भी अंतिम रुप देने में जुटे हैं। 20 जून तक रथ का निर्माण लगभग पूरा हो जाएगा।
मंदिर समिति ने पहले रथयात्रा को बिना श्रद्धालुओं के निकालने का फैसला लिया था।
रथयात्रा रोकने के फैसले पर पुनर्विचार चाहते हैं शंकराचार्य
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों ने शुक्रवार को जोर देकर कहा कि उच्चतम न्यायालय को रथयात्रा रोकने के अपने फैसले पर “पुनर्विचार” करना चाहिए। उन्होंने मांग की कि भक्तों को मंदिर परिसर में सावधानी के साथ त्योहार मनाने की अनुमति देनी चाहिए।
जगन्नाथ रथयात्रा नौ दिवसीय उत्सव है जिसमें तीन देवता- जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा- को रथों पर बैठाकर शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें दुनिया भर से लगभग 10 लाख भक्त हिस्सा लेते हैं।
पुरी में गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य धार्मिक प्रमुख हैं।