भारत में राजनेताओं के ठाठ ही अलग हैं। हमारे कई राजनेताओं की संपत्ति पर नजर डालें तो दुनिया के दिग्गज पैसे वाले लोग भी शरमा जाएं। वहीं बात जब नेताओं के बेटे-बेटियों की शादी की आती है तो कह सकते हैं कि इन शादियों में वैभव अपने चरम पर होता है। लेकिन बिहार के उप-मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील मोदी ने इस मामले में देश और समाज के सामने नजीर पेश की है।
सादगी भरी शादी
बता दें कि बीते रविवार को सुशील मोदी के बेटे उत्कर्ष की शादी कोलकाता की यामिनी से पटना के वेटरनरी कॉलेज मैदान पर संपन्न हुई। इस शादी की खास बात ये रही कि इस शादी में आम शादियों की तरह ना बैंड-बाजा था और ना ही कोई तड़क-भड़क। बिना दहेज के हुई इस शादी में करीब 1500 मेहमानों ने शिरकत की और सभी ने एक आवाज में इस शादी की तारीफ की।
बात यहीं पर खत्म नहीं होती है, बता दें कि शादी में खाने-पीने के स्टॉल की बजाए अंगदान को प्रोत्साहित करने वाले स्टॉल दिखायी दे रहे थे। जहां करीब 150 लोगों ने अपनी मौत के बाद देहदान का संकल्प लिया। खाने के नाम पर इस शादी में सिर्फ चाय और 4 लड्डू का पैकेट दिया जा रहा था। वहीं इतने बड़े नेता के बेटे की सादगीपूर्ण शादी से प्रभावित होकर बिहार के करीब 350 युवाओं ने भी ऐसे ही बिना दहेज के और सादगीपूर्ण तरीके से शादी करने का फैसला किया है।
बेटे की शादी इतनी सादगी से करने के सवाल पर सुशील मोदी ने कहा कि “उनकी शादी भी साल 1986 में बेहद ही सादे अंदाज में हुई थी और वह इस परंपरा को जारी रखना चाहते थे।” सुशील मोदी ने कहा कि “इस आइडिए के पीछे उनकी सोच थी कि इस शादी को देखकर देश का युवा वर्ग आगे आए और समाज से दहेज प्रथा को खत्म करने का संकल्प ले।
सुशील मोदी के बेटे की शादी इसलिए तो खास है ही कि यह बिना किसी दहेज और ताम-झाम के संपन्न हुई। इसके साथ ही यह शादी इसलिए भी और खास हो जाती है कि यह एक बड़े नेता के बेटे की सादगी से हुई शादी थी। जैसा कि सभी जानते हैं कि भारत जैसे देश में राजनेताओं को काफी लोग फॉलो करते हैं, ऐसे में यदि देश के राजनेता इसी तरह सुशील मोदी की तरह दहेज प्रथा के खात्मे के लिए समाज के सामने उदाहरण पेश करें तो यकीनी तौर पर समाज और देश में इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। एक ऐसे समाज में जहां हर साल सैंकड़ो-हजारों लड़कियों को सिर्फ दहेज के लिए मार दिया जाता है, वहां सुशील मोदी और उनके परिवार की यह पहल बेहद सराहनीय है।