गुजरात (Gujarat) और हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) चुनाव के दौरान Chief Election Commissioner अचल कुमार ज्योति (Achal Kumar Jyoti) तमाम वजहों से सुर्खियों में रहे थे। उस वक्त पूर्व Chief Election Commission of India TN Seshan की भी खूब चर्चा हुई थी। TN Seshan ही वो शख्स थे जिनकी वजह से लोगों को पता चला कि Chief Election Commissioner के पास बहुत Power होता है।उन्होंने चुनावी सिस्टम को पूरी तरह से बदल दिया था। लेकिन 85 साल के TN Seshan अब चेन्नई में गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं। एक न्यूजपेपर के मुताबिक वो अपना समय कभी अपने बंगले में अकेले या Old Age Home में गुजारते हैं।
कभी घर तो कभी Old Age Home
TN Seshan के परिजनों का कहना है कि वे सत्य साईं बाबा के बहुत बड़े भक्त हैं। 2011 में जब सत्य साईं बाबा का देहांत हो गया तो वे सदमे में चले गए। जिंदगी उन्हें बोझ लगने लगी और डिप्रेशन की वजह से उन्हें भूलने की आदत हो गई। ऐसे में परिजनों ने उन्हें चेन्नई स्थित SSM Old Age Home में शिफ्ट कर दिया। वे वहां तीन सालों तक रहे जिसके बाद उन्हें घर वापस लाया गया। वर्तमान में वे कभी अपने घर में अकेले रहते हैं तो कभी Old Age Home चले जाते हैं। वे किसी से बात भी नहीं करते हैं।
1990-96 तक Chief Election Commissioner रहे
तमिलनाडु काडर के IAS अधिकारी TN Seshan देश के 10वें Chief Election Commissioner थे। अपने 6 साल के कार्यकाल (1990-96) के दौरान उन्होंने चुनावी प्रक्रिया की तस्वीर बदल दी। 1990 के दशक में बिहार में लालू यादव का राज था जिसे जंगलराज के नाम से भी जाना जाता है। उस वक्त चुनाव के दौरान Booth capturing, Fake voting, Violence की घटनाएं सामान्य थी। लेकिन TN Seshan ने बिहार में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने का फैसला कर लिया।
1995 बिहार विधानसभा चुनाव मील का पत्थर साबित हुअा
1995 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव को उन्होंने चुनौती के तौर पर लिया। हिंसा पर काबू पाने के लिए उन्होंने अर्धसैनिक बलों (Para military forces) की 650 कंपनियों को तैनात किया। विधानसभा चुनाव को चार चरणों में संपन्न करवाया और चार बार चुनाव स्थगित भी करवाया। 1995 बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 8 दिसंबर 1994 को अधिसूचना जारी की गई थी और आखिरी चरण का मतदान 28 मार्च 1995 को संपन्न हुआ। वह चुनाव अब तक देश के सबसे लंबे समय तक चलने वाली चुनावी प्रक्रिया थी। हालांकि लालू यादव की पार्टी जनता दल को 1990 चुनाव के मुकाबले 45 सीटों का फायदा हुआ और RJD (राष्ट्रीय जनता दल) बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही। वह चुनाव चुनावी इतिहास में मिल का पत्थर साबित हुआ।
1997 में राष्ट्रपति चुनाव भी लड़े
TN Seshan के नाम तमाम उपलब्धियां हैं। उन्होंने 1993 में Voter ID card की शुरुआत की। उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्च की सीमा तय की। चुनाव की प्रक्रिया पूरी करवाने के लिए Observer लगाए। 1996 में उन्हें Ramon Magsaysay अवार्ड से सम्मानित किया गया। 1953 में कम उम्र की वजह से वे IAS की परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए। अपनी क्षमता को पहचानने के लिए उन्होंने 1954 में IPS की परीक्षा दी और पूरे भारत में पहले स्थान पर रहे। 1955 में उन्होंने IAS की परीक्षा दी और IAS अधिकारी बन गए। Chief election commissioner बनने से पहले वे Planning Commission of India के भी सदस्य रह चुके हैं। 1997 में वे राष्ट्रपति चुनाव में भी खड़े हुए लेकिन KR Narayanan के हाथों हार का सामना करना पड़ा।