रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद, 27 जुलाई, 2019 (युवाPRESS)। इन दिनों बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रणौत की फिल्म ‘जजमेंटल है क्या’ चर्चा में है, परंतु हमारे शीर्षक का इस फिल्म से कोई लेना-देना नहीं है। हम जो किस्सा बताने जा रहे हैं, उसने स्वयं हमारे मन में यह सवाल पैदा कर दिया है कि आगरा के उस जज ने सड़क पर रास्ता नहीं देने वाले एक सामान्य पुलिस कर्मचारी को उसकी मामूली ग़लती की इतनी बड़ी सजा क्यों दी कि वह नौकरी छोड़ने तक की सोचने लगा ?
घटना उत्तर प्रदेश के आगरा शहर की है, जहाँ 58 वर्षीय पुलिस कर्मचारी को भरी अदालत में जज की ओर से बुरी तरह अपमानित किया गया। उत्तर प्रदेश पुलिस में ड्राइवर कॉन्स्टेबल के रूप में कार्यरत् घूरे लाला के साथ आगरा की मालपुरा स्थित किशोर अदालत में जो हुआ, उसे जानने के बाद कोई भी स्वाभिमानी पुलिस कर्मचारी नौकरी छोड़ने पर विवश हो जाएगा। घूरे लाल ने सोचा भी नहीं होगा कि 38 वर्षों से पुलिस विभाग में सेवा देने का ऐसा अपमानपूर्ण सिला मिलेगा। घूरे लाल का दोष इतना ही था कि उन्होंने मालपुरा स्थित किशोर अदालत के जज की गाड़ी को रास्ता नहीं दिया। बस, इतनी सी बात पर जज का ग़ुमान सातवें आसमान पर पहुँच गया। जज ने घूरे लाल को कोर्ट में तलब किया और उन्हें कोर्ट रूम के अंदर वर्दी उतार कर आधा घण्टा खड़े रहने की सजा दी। घूरे लाल भरी अदालत में आधा घण्टे तक बिना वर्दी खड़े रहे।
अदालत में इस अपमान से घूरे लाल बुरी तरह आहत हुए। उन्होंने आगरा के एसएससपी को पत्र लिख कर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) मांगी है। इस घटना की जानकारी पाने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) ओ. पी. सिंह ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि मामले को उचित स्तर पर उठाया जाएगा। डीजीपी ओ. पी. सिंह ने कहा कि हम प्रत्येक पुलिस कर्मचारी की गरिमा के साथ खड़े हैं और समाज के प्रत्येक वर्ग से अपील करते हैं कि वे सुरक्षा बलों का सम्मान करें। इस मामले में आगरा के एसएसपी बबलू कुमार ने कहा कि कॉन्स्टेपबल ड्राइवर घूरे लाल ने आरोप लगाया है कि उनके साथ कोर्ट में जज ने अपमान किया। जज ने कार को रास्ता नहीं देने पर दंड स्वरूप उन्हें वर्दी, टोपी और बेल्ट उतारने तथा आधे घण्टे तक खड़ा रहने के लिए बाध्य किया।
बताया जा रहा है कि घटना उस समय घटी, जब घूरे लाल दो किशोर बंदियों को मालपुरा स्थित किशोर अदालत ले जा रहे थे, जहाँ उनकी सुनवाई होनी थी। उनके साथ तीन अन्य पुलिस वाले भी थे। कोर्ट से 100 मीटर पहले जज ने पुलिस वैन से रास्ता देने के लिए हॉर्न और सायरन बजाया, परंतु ड्राइवर घूरे लाल किसी कारण रास्ता नहीं दे सके। नाराज जज ने घूरे लाल को कोर्ट में पेश करवाया और उनका कथित रूप से अपमान किया। एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि वे जज के विरुद्ध शिकायत की कॉपी आगरा के जिला जज, इलाहाबाद हाई कोर्ट (HC) के महाधिवक्ता और प्रशासनिक जज को भेजेंगे, ताकि घूरे लाल के आरोपों पर जज के विरुद्ध कोई कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।