रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद 4 अक्टूबर, 2001 (युवाPRESS)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित समग्र भारतीय जनता पार्टी (BJP-बीजेपी) वर्ष में दो दिन 11 फरवरी (पुण्यतिथि) और 25 सितंबर (जन्म जयंती) को अपने पूर्ववर्ती राजनीतिक दल जनसंघ के नेता दीनदयाल उपाध्याय को याद करते हैं। इसी क्रम में हाल ही में यानी गत 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 103वीं जयंती थी। इस उपलक्ष्य में नई दिल्ली में भाजपा मुख्यालय स्थित दीनदयालजी की प्रतिमा पर नेताओं ने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।
अब चूँकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 25 सितंबर को अमेरिका यात्रा पर थे। ऐसे में दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर मोदी ने फूलमालाएँ पहना कर श्रद्धांजलि दी हो, ऐसा तो संभव हो ही नहीं सकता। हाँ, भाजपा के अन्य नेता अवश्य पहुँचे होंगे, परंतु दीनदयाल की 103वीं जयंती और गत 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के बाद सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक तसवीर बहुत तेजी से वायरल हुई।
तो मोदी ने गोडसे को श्रद्धांजलि दी ?

वायरल किए गए इस कोलाज फोटोग्राफ में एक चित्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समक्ष झुक कर नमन करते हुए देखा जा सकता है। इस तसवीर के नीचे GANDHI लिखा हुआ है, जबकि दूसरी तसवीर में मोदी जिस प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद हाथ जोड़े खड़े दिखाई दे रहे हैं, उस तसवीर के नीचे KILLER OF GANDHI लिखा हुआ है। कोलाज फोटोग्राफ की पहली तसवीर के कैप्शन में गांधी लिखा है और मोदी जिन्हें नमन कर रहे हैं, वे महात्मा गांधी ही हैं। ठीक उसी तरह दूसरी तसवीर में मोदी जिस प्रतिमा के समक्ष हाथ जोड़े खड़े हैं, उसके नीचे किलर ऑफ गांधी लिखा है। सीधी-सी बात है कि यहाँ भले ही नाथूराम गोडसे का नाम नहीं लिखा है, परंतु कैप्शन का इशारा तो यही है कि मोदी महात्मा गांधी के हत्यारे यानी नाथूराम गोडसे को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इस तसवीर को मोदी विरोधियों ने मोदी समर्थकों पर हमला करने के लिए उपयोग किया, परंतु जब हमने फैक्ट चेक किया, तो यह स्पष्ट हो गया कि कोलाज फोटोग्राफ में पहली तसवीर तो महात्मा गांधी की ही है, जिन्हें मोदी नमन कर रहे हैं, परंतु दूसरा चित्र पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का है। यह प्रतिमा भाजपा मुख्यालय में लगी हुई है और मोदी ने 11 फरवरी 1968 को दीनदयाल उपाध्याय के निधन के बाद अपने दो दशकों के राजनीतिक कैरियर में कई बार इस प्रतिमा पर माल्यार्पण कर चुके हैं।
चेहरों की मिलावट से फँसाने का प्रयास
इस तसवीर को वायरल करने वालों ने क्या ख़ूब दिमाग़ पाया है। वास्तव में नाथूराम गोडसे और दीनदयाल उपाध्याय के चेहरे आपस में बहुत हद तक मेल खाते हैं। जहाँ तक आयु का प्रश्न है, तो गोडसे और उपाध्याय की आयु के बीच 6 वर्ष का ही अंतर था। गोडसे जहाँ 1910 में जन्मे थे, वहीं उपाध्याय 1916 में। गोडसे और उपाध्याय के युवावस्था के चेहरे बहुत हद तक मिलते-जुलते लगते हैं। इसमें भी गोडसे को तो 38 वर्ष की युवावस्था में फाँसी दे दी गई थी, जिसके चलते गोडसे की जो तसवीरें या प्रतिमाएँ उपलब्ध हैं, वे सभी युवावस्था की ही हैं। दूसरी तरफ भाजपा मुख्यालय में लगी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा भी युवावस्था की है, जिससे वह गोडसे के चेहरे से मिलती-जुलती लगती है। इसी बात का, इसी मिलावट का फायदा उठा कर कुछ लोगों ने मोदी के विरुद्ध दुष्प्रचार करने का प्रयास किया।