रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 3 अगस्त, 2019 (युवाPRESS)। इंसान, बंदरों का यह कहकर मजाक बनाता है कि ‘बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।’ हालाँकि हम जिस बंदर को दिखाने जा रहे हैं, वह बंदर अदरक का स्वाद जानता हो, या ना जानता हो, परंतु पानी का मोल अवश्य जानता है। इस बंदर की समझदारी तो इंसान को ही परिहास का पात्र बना रही है। आज जब आधे से ज्यादा विश्व और भारत का भी आधा हिस्सा भयंकर जल संकट का सामना कर रहा है, तब भी इंसान पानी की एक-एक बूँद का मूल्य नहीं समझ रहा है और अपनी ही आने वाली नस्लों का भविष्य अंधकार की गर्त में धकेल रहा है। कहते हैं कि इंसान के पूर्वज बंदर थे, तो आज इंसान का यह पूर्वज इंसान को एक ऐसी सीख दे रहा है, जिसे देखकर यदि हम पानी का मोल समझ जाएँ तो हर रोज 49 अरब लीटर पानी को बरबाद होने से बचा सकते हैं।
पानी के जतन का सुदृढ़ आयोजन करना जरूरी

अभी बारिश का मौसम है और गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड सहित आधा भारत भारी बारिश और नदियों में उफान के कारण बाढ़ की चपेट में है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि जिन राज्यों में बाढ़ का पानी लोगों के लिये जान का दुश्मन बना हुआ है और परेशानी का सबब बन गया है। इन्हीं राज्यों में पीने के पानी की भारी किल्लत भी है। पानी की किल्लत देश भर में एक गंभीर समस्या बनी हुई है। दूसरी तरफ यह भी कड़वा सच है कि देश में पानी के जतन का कोई सुदृढ़ आयोजन अभी तक नहीं किया गया है, जिसके दुष्परिणाम स्वरूप हम कुल वर्षा का मात्र 8 प्रतिशत पानी ही सुरक्षित रख पाते हैं, बाकी सारा पानी समंदर में बह जाता है।
चिंताजनक हैं यह आँकड़े

देश के जलशक्ति मंत्रालय के अनुसार भारत का आधा हिस्सा पानी के गंभीर संकट से जूझ रहा है। इसके बावजूद देश में अभी जो बाँध आदि संसाधन उपलब्ध हैं, उनके माध्यम से हम कुल बारिश का मात्र 8 प्रतिशत पानी ही संग्रह कर पाते हैं और 92 प्रतिशत पानी बरबाद हो जाता है यानी समंदर में जाकर मिल जाता है, जो उपयोग के लायक नहीं रहता है। वर्तमान परिस्थितियों में भारत के प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता वर्ष 2001 में 1,816 क्यूबिक मीटर से 10 साल में घटकर 2011 में 1,545 क्यूबिक मीटर हो चुकी है। यदि हालात ऐसे ही रहे तो वर्ष 2025 तक प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता घटकर 1,345 क्यूबिक मीटर हो जाएगी। दूसरी तरफ देश में अभी पानी की मांग प्रति दिन 40 अरब लीटर है, जो 2025 तक बढ़कर 220 अरब लीटर तक पहुँच जाएगी। ऐसे में देश में 33 प्रतिशत लोग नहाने और ब्रश करने के दौरान बिना काम के नल खुला रखकर साफ पानी की बरबादी करते हैं। प्रति दिन लोग अलग-अलग तरीकों से 4,84,20,000 करोड़ घन मीटर यानी एक लीटर वाली 48.42 अरब बोतल जितना पानी बरबाद करते हैं। दूसरी तरफ देश के लगभग 16 करोड़ लोगों को साफ और ताजा पानी नहीं मिलता है और देश की 60 करोड़ आबादी ऐसी है जो गंभीर जल संकट से जूझ रही है।

आवासीय और व्यावसायिक जगहों पर टंकियों से पानी ओवरफ्लो होता रहता है, जिससे काफी पानी बरबाद होता है। इतना ही नहीं, फ्लशिंग सिस्टम भी ताजा पानी की बरबादी का एक और बड़ा कारण है। एक बार फ्लश चलाने पर 15 से 16 लीटर पानी बरबाद हो जाता है। एक आँकड़ा चौंकाने वाला है कि देश में हर तीसरा व्यक्ति नल खुला छोड़ देता है। इससे एक मिनट में 5 लीटर पानी की बरबादी होती है। एक शॉवर से प्रति मिनट 10 लीटर पानी बरबाद होता है। 3 से 5 मिनट तक ब्रश करने के दौरान नल खुला रखने से लगभग 25 लीटर पानी बरबाद होता है और 15 से 20 मिनट शॉवर लगातार चालू रखने से 50 लीटर पानी बरबाद हो जाता है। इसी तरह बर्तन धोने के दौरान नल खुला रखने से भी 20 से 60 लीटर पानी की बरबादी होती है। कारों की धुलाई और पानी बेचने की जगहों पर भी नल लगातार खुले रखकर पानी की खूब बरबादी की जाती है।
भूजल पानी का स्तर भी नीचे गिरा

देश के कई हिस्सों में विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का दोहन किया जाता है और हैंड-पंप तथा ट्यूबवेल जैसे स्रोतों से भूजल का दोहन किया जाता है, जिससे भूजल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। ऐसे में राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा जैसे कृषि प्रधान राज्य में सिरसा जिले के रानियां और ऐलनाबाद ब्लॉक को डार्क जोन की श्रेणी में रख दिया गया है और यहाँ ट्यूबवेल लगाने पर पाबंदी लगा दी गई है। ऐसे में पानी की बरबादी रोकने के लिये कारगर कदम उठाये जाने की बहुत आवश्यकता है।
ऐसे में इंसान का पूर्वज कहलाने वाले एक बंदर ने इंसानों को पानी के इस्तेमाल का एक ऐसा दृष्टांत प्रस्तुत करके दिखाया है कि आजकल इस बंदर का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। आप भी देखिये जल संरक्षण का संदेश देने वाला यह वीडियो…