* NSA अजीत डोवाल ने किया कश्मीर दौरा
* 10 हजार अतिरिक्त जवान भेज रहा केन्द्र
रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद, 27 जुलाई, 2019 (युवाPRESS)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह कश्मीर को लेकर कुछ ‘बड़ा’ करने की तैयारी में लग रहे हैं। कदाचित मोदी सरकार कुछ ऐसा ऐतिहासिक कार्य करने जा रही है, जो कश्मीर को जागीर समझने वाले वहाँ के राजनीतिक दलों, आज़ादी के नाम पर युवाओं को गुमराह कर अपनी दुकान चलाने वाले अलगाववादियों ही नहीं, अपितु कश्मीर की सदैव कुदृष्टि रखने वाले पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री इमरान खान तक को चौंका सकता है। इतना ही नहीं, पिछले दिनों बिना जाने-समझे कश्मीर विवाद में मध्यस्थता वाला झूठ बोलने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आँखें भी चौंधिया सकती हैं।
नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले ही कार्यकाल से कश्मीर और पाकिस्तान को लेकर आक्रामक रणनीति के साथ काम किया। पहले कार्यकाल में जहाँ मोदी सरकार ने कश्मीर घाटी को आतंकवादियों से मुक्त करने के लिए ऑपरेशन ऑलआउट छेड़ा, जो आज भी जारी है, वहीं दूसरे कार्यकाल में मोदी ने अमित शाह को गृह मंत्रालय सौंप कर मिशन कश्मीर के ताबूत में आख़िरी कील लगाने का इरादा साफ कर दिया। शाह ने भी गृह मंत्रालय संभालते ही सबसे अधिक ध्यान कश्मीर पर ही केन्द्रित किया है और सरकार के एजेंडा में शामिल धारा 370 और अनुच्छेद 35ए को भंग करने की दिशा में जोरदार अभियान छेड़ दिया।

कश्मीर पर किसी बड़ी निर्णायक पहल को लेकर पिछले कई दिनों से संकेत मिल रहे हैं। इसी के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कश्मीर दौरे पर पहुँचे। डोभाल के शुक्रवार को कश्मीर दौरे से लौटते ही केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियाँ यानी लगभग 10 हजार जवान-अधिकारी भेजने का निर्णय किया है। ये कंपनियाँ शीघ्र ही कश्मीर पहुँचने लगेंगी। केन्द्र के इस निर्णय से कश्मीर घाटी में राजनीतिक दलों और अलगाववादियों में हड़कम्प मचा दिया है।
अटकलें ये लगाई जा रही हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 अगस्त, 2019 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कश्मीर पर कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं और यह घोषणा कश्मीर से अनुच्छेद 35ए हटाने की भी हो सकती है। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री की इस घोषणा से कश्मीर में उत्पन्न होने वाली संभावित अशांति से निपटने के लिए ही केन्द्र सरकार ने 10 हजार अतिरिक्त जवानों को कश्मीर में तैनात करने का निर्णय किया है। कश्मीर में भेजी जाने वाली कंपनियों में केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) की 50, सीमा सुरक्षा बल (BSF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की 10-10 और सशस्त्र सीमा बल (SSB) की 30 कंपनियाँ शामिल होंगी।
राजनीतिक दलों और अलगाववादियों में घबराहट

केन्द्र सरकार के 10 हजार अतिरिक्त जवान भेजने के फैसले से कश्मीर के राजनीतिक दल और अलगाववादी सकते में आ गए हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के पूर्व अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (JKPM) के अध्यक्ष शाह फैसल तो मोदी सरकार के फैसले से बुरी तरह घबराए हुए हैं। शाह की घबराहट उनके ट्वीट से साफ झलकती है। शाह फैसल ने ट्वीट कर कहा, ‘घाटी में अचानक सुरक्षा बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती क्यों हो रही है ? इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है। इस बात की अफवाह है कि घाटी में कुछ बड़ा भयानक होने वाला है। क्या यह अनुच्छेद 35ए को लेकर है ?’ पीपल्ड डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता महबूबा मुफ्ती ने भी ट्वीट कर कहा कि केन्द्र के निर्णय से घाटी में भय का माहौल है।