* मोदी-शाह-डोभाल की तिकड़ी मारेगी कोई तीर ?
कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद 3 अगस्त, 2019 (युवाPRESS)। पिछले कुछ दिनों से भारत का अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर सुर्खियों में है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल के कश्मीर दौरे से लौटने के बाद अचानक जहाँ एक ओर पूरे देश में कश्मीर में ‘कुछ बड़ा’ होने की उत्कंठा और उत्सुकता जागी है, वहीं इस संभावित ‘कुछ बड़ा’ होने को लेकर कश्मीर के अलगाववादी और राजनीतिक दल बेचैन नज़र आ रहे हैं। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि अंतत: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और एनएसए अजित डोभाल के मन में क्या चल रहा है ? क्या वास्तव में कश्मीर में कोई करिश्मा होने वाला है, जिसे अलगाववादी और कश्मीरी राजनीतिक दल कोई कांड होने की आशंका बता रहे हैं ?
दरअसल डोभाल के कश्मीर दौरे से लौटते ही केन्द्र सरकार ने कश्मीर में अर्धसैनिक बलों के 10 हजार अतिरिक्त जवानों भेजा और इसके बाद और 25 हजार जवानों की तैनाती कर दी। तीन दिनों के भीतर ही कश्मीर में 35 हजार अतिरिक्त जवान उतार दिए जाने के साथ ही देश में इस बात को लेकर चर्चा और अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया कि मोदी सरकार स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त, 2019 तक कश्मीर को लेकर कोई बड़ा निर्णय या ऐलान कर सकती है।
‘डर’ ही दे रहा ‘दहाड़’ का संदेश

कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती पर केन्द्र सरकार की ओर से कोई आधिकारिक कारण तो नहीं दिया गया है। यद्यपि भाजपा सांसद और नेता अवश्य यह कह रहे हैं कि सेना या उसके जवान को देख कर तो हर आम नागरिक सुरक्षा की अनुभूति करता है। ऐसे में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती से डर उन्हें ही लगता है, जिसके मन में मैल हो। आम निर्दोष कश्मीरी भला क्यों डरने लगा ? तो फिर कश्मीर के अलगाववादी और दो प्रमुख राजनीतिक दलों नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) तथा पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (PDP) के नेताओं फारूक़ अब्दुल्ला, ओमर अब्दुल्ला तथा महबूबा मुफ़्ती क्यों घबराए हुए हैं। अक्सर जब किसी के मन में डर पैदा होता है, तो निश्चित रूप से वह सही भी सिद्ध होता है। इन नेताओं का डर अपने आप में एक संदेश है कि मोदी सरकार कश्मीर को लेकर कोई बड़ी दहाड़ करने वाली है।
35ए के निर्मूलन से हो सकती है करिश्मे की शुरुआत

वास्तव में अलगाववादियों और राजनीतिक दलों को सबसे बड़ा कोई डर सता रहा है, तो वह यह है कि कहीं मोदी सरकार कश्मीर से अनुच्छेद 35ए को समाप्त करने की घोषणा न कर दे। अलगाववादियों और नेताओं की यह आशंका सही भी है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी-BJP) के एजेंडा में कश्मीर नीति के दो सबसे महत्वपूर्ण बिंदु ही संविधान की धारा 370 और अनुच्छेद 35ए को समाप्त करना है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से कश्मीर में लागू अनुच्छेद 35ए को समाप्त करने की घोषणा कर सकते हैं। यदि ऐसा हुआ, तो कश्मीर में करिश्मे की यह बड़ी शुरुआत होगी। दूसरी तरफ मोदी सरकार अच्छी तरह जानती है कि आम कश्मीरियों को कदाचित सरकार के इस निर्णय पर फर्क़ नहीं पड़ेगा, परंतु अलगाववादी, उनके बहकाए उपद्रवी और एनसी-पीडीपी जैसे राजनीतिक दलों के नेता इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाएँगे और कश्मीर में अशांति पैदा करने का प्रयास करेंगे। इसीलिए सरकार ने पहले से ही 35 हजार अतिरिक्त जवानों को कश्मीर में तैनात कर दिया।
पहली बार गाँव-गाँव फहरेगा तिरंगा

कश्मीर में अतिरिक्त जवानों की तैनाती के पीछे एक कारण यह भी है कि स्वतंत्रता के 72 वर्षों के बाद पहली बार 15 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में गाँव-गाँव में तिरंगा फहराए जाने का मोदी सरकार और भाजपा का बड़ा प्लान है। कश्मीर में हाल ही में शांतिपूर्वक सम्पन्न हुए पंचायत-निकाय चुनावों में पीडीपी-एनसी ने भाग नहीं लिया था, जिसके चलते अधिकांश पंचायत-निकायों में भाजपा या उसके समर्थकों का शासन है। भाजपा ने अपने कब्जे वाले पंचायत-निकायों के प्रमुखों को तिरंगा फहराने का निर्देश दिया है। इसके अलावा भाजपा ने सांगठनिक तौर पर भी गाँव-गाँव में पहली बार तिरंगा फहराने और स्वाधीनता दिवस समारोहों के आयोजन की बड़ी तैयारी की है। अब तक यह होता था कि 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों के दिन अलगाववादी घाटी में बंद की घोषणा कर देते थे, जिससे तिरंगा उतनी शान से नहीं फहराया जा पाता था, परंतु मोदी सरकार ने इस बार इस बात की पक्की व्यवस्था की है कि 15 अगस्त को पूरे जम्मू-कश्मीर में जगह-जगह तिरंगा शान से फहराया जाए और जगह-जगह स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित हों। ऐसे में इन आयोजनों और आयोजकों पर अलगावादी समर्थित उपद्रवियों और आतंकवादियों के हमले की भी आशंका है। यही कारण है कि अतिरिक्त जवान कश्मीर में भेजे गए हैं, जो किसी भी तरह की अशांति की स्थिति से निपटने का काम करेंगे।
आतंकवादियों को मिलेगा करारा जवाब

मोदी-शाह-डोभाल की तिकड़ी ने कश्मीर को लेकर जो आक्रामक रुख अपनाया है, उसका एक कारण कश्मीर में मौजूद और सीमा पार से हमला करने की फिराक़ में बैठे आतंकवादियों को करारा जवाब देना भी है। अक्सर कश्मीर में राष्ट्रीय पर्वों पर आतंकवादी हमलों की आशंका रहती है। यही कारण है कि राज्य सरकार ने आतंकवादी हमले की आशंका के मद्देनज़र अमरनाथ यात्रा पर रोक लगा दी है और सभी अमरनाथ यात्रियों से शीघ्रातिशीघ्र कश्मीर छोड़ देने को कहा है। मोदी-शाह-डोभाल की तिकड़ी कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध है और आम कश्मीरियों को सुरक्षा, शांति और हिफाज़त का एहसास कराने का प्रयास कर रही है।
मोदी सरकार के हौसले बुलंद

कश्मीर को लेकर कुछ बड़ा होने वाला है। यह संभावना (कश्मीर को जागीर समझने वालों के लिए आशंका) काफी हद तक सटीक नज़र आती है। मोदी सरकार के हौसले भी बुलंद है, क्योंकि विगत तीन दिनों में मोदी सरकार ने संसद में वह काम कर दिखाया, जो पिछले पाँच वर्षों में राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण नहीं हो पा रहा था। मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक विधेयक को लोकसभा में पारित करने के बाद राज्यसभा में भी पारित करवा लिया। राज्यसभा में मोदी सरकार के पास बहुमत नहीं है और कई बार यह विधेयक इसी कारण राज्यसभा में पारित नहीं हो सका, परंतु इस बार मोदी सरकार अडिग थी। बुलंद इरादे के साथ मोदी सरकार ने इस विधेयक को राज्यसभा में प्रस्तुत किया। बँटा हुआ विपक्ष देखता ही रह गया और ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया। इतना ही नहीं, यूएपीए बिल भी कल राज्यसभा में पारित हो जाने के साथ ही मोदी सरकार के हौसले बुलंद है। अब मोदी सरकार को लगता है कि भविष्य में यदि वह कश्मीर में अनुच्छेद 35ए और धारा 370 हटाने का विधेयक लाएगी, तो वह भी लोकसभा के साथ ही राज्यसभा में भी पारित हो जाएँगे।