जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ महीनें काफी उथल-पुथल भरे रहे, जिसमें हिंसा और तनाव का माहौल पूरी घाटी पर हावी रहा। लेकिन अब लगता है कि हालात कुछ बेहतर हो रहे हैं। भारत सरकार भी कश्मीर में वार्ता की कोशिश कर रही है, वहीं आतंकवाद पर भी कुछ हद तक लगाम लगी हैं। इसी बीच कुछ खबरे आयी हैं जो इस ओर इशारा कर रही हैं कि घाटी में हवा बदलनी शुरु हो गई है।
पत्थरबाज बनी कप्तान
कुछ समय पहले जब कश्मीर में हिंसा का माहौल था तो सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकती एक युवती की तस्वीर काफी वायरल हुई थी। यह लड़की थी अफशां आशिक, जो कि एक फुटबॉलर है। अब खबर आयी है कि अफशां आशिक को जम्मू कश्मीर की महिला फुटबॉल टीम का कप्तान बनाया गया है। फिलहाल यह 22 सदस्यीय महिला टीम केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करने दिल्ली आयी हुई है। पत्रकारों से बातचीत में अफशां आशिक ने कहा कि “अब वह पिछली जिन्दगी की ओर दोबारा कभी नहीं देखना चाहती।”
जाकिर मूसा पर लोगों ने बरसाए पत्थर
जम्मू कश्मीर में आतंक का बड़ा चेहरा जाकिर मूसा कभी लोगों का हीरो हुआ करता था। लेकिन जब से घाटी में आतंक की कमर टूटी है, तब से वहां के स्थानीय लोगों की सोच में भी बदलाव आया है। इसी का नतीजा है कि अब लोग जाकिर मूसा जैसे आतंकियों को हीरो नहीं बल्कि विलेन मानने लगे हैं। बता दें कि कल कश्मीर के त्राल इलाके में जाकिर मूसा और उसके कुछ साथियों ने एक बैंक में डाका डालने का प्रयास किया, लेकिन इस बीच स्थानीय लोगों ने आतंकियों के खिलाफ पत्थरबाजी शुरु कर दी। इस कारण आतंकी बैंक से सिर्फ 97000 रुपए ही लूटकर ले जा सके। ये खबर इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि लूट की साजिश विफल हो गई, बल्कि इसलिए अहम है कि अब कश्मीर में स्थानीय लोग आतंकियों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं।
3 आतंकी ढेर
सोमवार को सेना के काफिले पर हमला करने वाले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को सेना ने देर रात ढेर कर दिया। इस दौरान लश्कर कमांडर फुरकान समेत 3 आतंकी मारे गए। तीनों आतंकी पाकिस्तानी थे। हालांकि मुठभेड़ के दौरान सेना का एक जवान भी शहीद हो गया। बता दें कि इस साल सेना ने कश्मीर घाटी में करीब 200 आतंकियों का सफाया करके आतंकवाद की कमर तोड़ दी है। इसके साथ ही कई स्थानीय आतंकियों ने भी सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण किया है।
ये कुछ घटनाएं हैं जो इशारा कर रही हैं कि घाटी में धीरे-धीरे ही सही हालात कुछ बेहतर हो रहे हैं। जहां एक तरफ घाटी में पत्थरबाजी पर लगाम लगी है, वहीं आतंकियों का मनोबल टूटा है। हालांकि अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है, सरकार को घाटी के लोगों का विश्वास जीतने के लिए लगातार कोशिशें जारी रखनी पड़ेंगी, लेकिन कह सकते हैं कि शुरुआत तो हो ही गई है।