रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 29 जुलाई 2019 (युवाPRESS)। आम तौर पर आपने कामयाब लोगों की सफलताओं की कहानियाँ बहुत पढ़ी होंगी, परंतु हम आपको एक सफल बिज़नेसमैन की विफलताओं की कहानी सुनाएँगे। आम तौर पर सफल व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करने से पहले कई विफलताओं का सामना करता है और फिर सफलता का स्वाद चखता है, परंतु इस कहानी में एक बिज़नेस ने शुरुआत तो कामयाबी से की और बाद में वह अर्श (आसमान) से फर्श (ज़मीन) पर आया।
वी. जी. सिद्धार्थ ने यूँ छुआ कामयाबी का आसमान
कर्नाटक के चिकमंगलुरु जिले में जन्मे वी. जी. सिद्धार्थ ने मंगलुरु यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेज्युएशन की पढ़ाई कंप्लीट की थी। इसके बाद उन्होंने 1983-84 में मुंबई में स्थित जेएम फाइनांसियल सर्विसेज़ (अब जेएम मॉर्गन स्टेनली) में शेयर बाजार के सौदे सीखने के लिये पोर्टफोलियो मैनेजमेंट और सिक्युरिटीज़ ट्रेडिंग में मैनेजमेंट ट्रेनी (इंटर्न) के रूप में शुरुआत की। तब वह मात्र 24 साल के थे। यहाँ दो साल काम करने के बाद वी. जी. सिद्धार्थ बंगलुरु लौटे और अपने पिता से अपना कारोबार शुरू करने के लिये पैसे माँगे, जो उन्होंने दिये भी। बताया जाता है कि सिद्धार्थ को पिता से 5 लाख रुपये मिले थे, जिसमें से सिद्धार्थ 30,000 रुपये में एक कंपनी का स्टॉक मार्केट कार्ड लिया और उसे एक सफल निवेश तथा स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी में बदल दिया। वह लगभग 10 साल तक शेयर ट्रेडिंग कारोबार में ही लगे रहे। इसके बाद उन्हें अपने सपने को साकार करने का एक मौका मिला।

उनका परिवार लगभग 130 साल से कॉफी की खेती और कारोबार से जुड़ा था। उस समय कॉफी फाइव स्टार होटलों की शान हुआ करती थी और आम लोगों की पहुँच से दूर होती थी। सिद्धार्थ ने भी चिकमंगलुरु में कॉफी उगाने और उसका निर्यात करने में भाग्य आजमाया। 1993 में उन्होंने कॉफी ट्रेडिंग के लिये अमलगमेटेड बीन कंपनी (ABC) शुरू की और इस कंपनी के माध्यम से उनके भाग्य का सितारा चमक गया। यह कंपनी हर साल लगभग 28,000 टन कॉफी निर्यात करने लगी और कंपनी का वार्षिक टर्न ओवर 2500 करोड़ तक पहुँच गया। इतना ही नहीं, यह कंपनी ग्रीन कॉफी निर्यात करने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी बन गई। इससे सिद्धार्थ ने कॉफी के बागान भी बढ़ाए और लगभग 12,000 एकड़ में उनका कॉफी का प्लांटेशन है।
कॉफी को आम लोगों की पहुँच में लाने में हुए सफल

इसी बीच 1996 में उन्होंने युवाओं के हैंगआउट के लिये कैफे कॉफी डे की शुरुआत की। इसके लिये उन्होंने बंगलुरु के सबसे व्यस्ततम मार्ग ब्रिगेड रोड पर पहला कैफे कॉफी डे शॉप खोला। यह कॉन्सेप्ट युवाओं में बहुत लोकप्रिय हुआ। इसकी कामयाबी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज पूरे भारत में लगभग 1550 कैफे कॉफी डे हैं और इनमें हर दिन लगभग 50,000 विजिटर्स आते हैं।

इसके बाद सीसीडी के संस्थापक सिद्धार्थ ने शेयर बाजार में भी पैर फैलाये और वर्ष 2000 में ग्लोबल टेक्नोलॉजी वेंचर्स लिमिटेड (GTVL) की स्थापना की, जो टेक्नोलॉजी की भारतीय कंपनियों में निवेश करती है। जीटीवी ने अभी तक लगभग 24 स्टार्टअप में पैसा लगाया है। इसके अलावा उनकी वे2वेल्थ ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी लोगों को इन्वेस्टमेंट करने की सलाह देने का काम करती है। सिद्धार्थ ने Daffco Furniture यानी डार्क फॉरेस्ट फर्नीचर कंपनी के नाम से चिकमंगलुरु में 6 लाख वर्ग फुट का कारखाना भी शुरू किया है, जिसके लिये कंपनी लकड़ी लैटिन अमेरिकी देश रिपब्लिक ऑफ गुयाना से आयात करती है, गुयाना में कंपनी ने 18.5 करोड़ हेक्टेयर का जंगल भी लीज़ पर ले रखा है।

वर्ष 2011 में फोर्ब्स इंडिया की ओर से ‘नेक्स्टजन आंत्रप्रेन्योर’ अवॉर्ड भी दिया गया था।
सिद्धार्थ की कॉफी हुई कड़वी

हालाँकि इसके बाद इस सफल बिज़नेसमैन की कॉफी कड़वी होने लगी, अर्थात् 4,000 करोड़ से भी अधिक नेटवर्थ वाली सीसीडी चलानेवाली पेरेंट कंपनी कॉफी डे एंटरप्राइजेज़ लिमिटेड को घाटा होने लगा। यह घाटा बढ़ता चला गया और 2018-19 में यानी पिछले साल आय और मुनाफा दोनों में भारी गिरावट आई। पिछले साल इसकी आय मात्र 124.06 करोड़ रुपये रह गई। जबकि उसके पिछले साल यह आय 142 करोड़ रुपये थी। घाटा बढ़कर 67.71 करोड़ रुपये तक पहुँच गया था।
एक समय था जब कोर कार्बोनेटेड पेय से जुड़े जोखिमों को भाँपकर दुनिया की मशहूर बेवरेज़ कंपनी कोकाकोला तेजी से आगे बढ़ते कैफे स्पेस में पैर जमाने की सोच रही थी और इसी कड़ी में अटलांटा स्थित कोकाकोला कंपनी की वैश्विक टीम कैफे व्यवसाय में आना चाहती थी और सिद्धार्थ की कंपनी की कुछ हिस्सेदारी खरीदने का मन बना रही थी। दूसरी तरफ घाटे में चल रही सीसीडी के वर्ष 2018 में 90 स्टोर बंद कर दिये गये।
टूट रहे हैं सीसीडी के शेयर भी

इधर सोमवार देरशाम से लापता सीसीडी के संस्थापक सिद्धार्थ के सीसीडी में पैसे लगाने वाले लोगों के शेयर भी डूब रहे हैं। क्योंकि मंगलवार को सिद्धार्थ के लापता होने की खबर का असर शेयर बाजार में देखा गया और कॉफी डे एंटरप्राइजेज़ के शेयरों के दाम 20 प्रतिशत तक टूट गये। कंपनी के शेयर 154.05 रुपये के स्तर पर आ गये हैं। इस पूरे साल में कंपनी के शेयर अभी तक 44 प्रतिशत तक टूट चुके हैं। उन्होंने कर्जदारों से पैसा लेकर अपने बिज़नेस को सँभालने का बहुत प्रयास किया, परंतु सफल नहीं हुए। इसी बीच कर्जदारों ने उनसे उगाही शुरू कर दी, जिससे वह पिछले कुछ समय से परेशान थे और अब सोमवार शाम से उनके लापता होने की खबरें आ रही हैं। वह एक नदी के पुल पर अपनी कार से उतरे थे और ड्राइवर को घर भेज दिया था। माना जा रहा है कि उन्होंने इस पुल से नदी में छलाँग लगाकर आत्महत्या कर ली है। इसलिये पूरी दक्षिण भारतीय पुलिस इस नदी में तथा आसपास के क्षेत्रों में उनकी तलाश में जुटी है।