बीते 9 दिसंबर को पूरी दुनिया में अन्तर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार मुक्त दिवस मनाया गया। हैरानी की बात है कि जिस समस्या से हमारा पूरा तंत्र (System) प्रभावित है, उसके खिलाफ सरकार के साथ साथ पूरे देश में एक उदासीनता (Apathy, Negligence) का माहौल है। यही कारण है कि आज भ्रष्टाचार हमारे देश में गहरे तक पैठ बना चुका है। हालात इस कदर गंभीर हो चुके हैं कि अब भ्रष्टाचार हमारी व्यवस्था का हिस्सा बन चुका है और अगर कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ता है तो पूरी व्यवस्था ही उसके खिलाफ हो जाती है।
साल 2011 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली में ‘एंटी-करप्शन मूवमेंट’ की शुरुआत कर एक पहल जरुर की थी, लेकिन शानदार शुरुआत के बाद वह मूवमेंट भी राजनीति का शिकार हो गई। उसके बाद से ऐसा कोई आंदोलन अभी तक आकार नहीं ले सका है, लेकिन फिर भी कुछ अधिकारी हैं जो अपने-अपने स्तर पर कई सालों से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़े हुए हैं। ऐसे ही अफसरों में अशोक खेमका जैसे अधिकारियों का नाम शुमार होता है। कुछ ही दिन पहले खबर आयी थी कि हरियाणा सरकार ने ईमानदार IAS अफसर अशोक खेमका का फिर से ट्रांसफर कर दिया है। बता दें कि अपने 26 साल के करियर में खेमका का 50 से ज्यादा बार ट्रांसफर हुआ है। इन आंकड़ों से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपने पूरे करियर के दौरान ईमानदार अफसर अशोक खेमका को कितनी परेशानी और तनाव से गुजरना होगा। अशोक खेमका की कहानी हमें यह बताने के लिए काफी है कि हमारे सिस्टम में भ्रष्टाचार से लड़ना कितना मुश्किल है।
गौर करने वाली बात है कि अपनी ईमानदारी के कारण परेशानी झेल रहे अशोक खेमका पहले व्यक्ति नहीं हैं, उनसे पहले भी कई IAS अधिकारी रहे हैं, जिन्हें अपनी ईमानदारी का खामियाजा भुगतना पड़ा। दुख की बात है कि कई अधिकारियों को तो अपनी जान देकर ईमानदारी की कीमत चुकानी पड़ी। ऐसे ही कुछ अधिकारियों से आज हम आपका परिचय करा रहे हैं।
अनुराग तिवारी
कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की साल 2017 में मार्च महीने में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। जिसकी CBI जांच चल रही है। बता दें कि अपनी मौत के समय आईएएस अधिकारी कर्नाटक के एक बड़े घोटाले की जांच कर रहे थे और जल्द ही उसका खुलासा करने वाले थे। ऐसे में आईएएस अनुराग तिवारी की संदिग्ध मौत ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
षणमुगम मंजूनाथ
साल 2005 में Indian Oil Corporation(IOC) के अधिकारी षणमुगम मंजूनाथ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दरअसल तेल की गुणवत्ता में खराबी की शिकायत मिलने पर मंजूनाथ ने लखीमपुरी खीरी में 2 पेट्रोल पंप को सीज कर दिया था। जब सीज होने के बाद भी पेट्रोल पंप के जारी रहने की खबर मंजूनाथ को मिली तो वह पेट्रोल पंप पर छापा मारने पहुंचे। लेकिन छापे के दौरान ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।
डी.ए. रविकुमार
साल 2009 बैच के आईएएस अधिकारी डी.ए.रविकुमार को भी भूमाफिया के खिलाफ सख्त कारवाई करने का खामियाजा भुगतना पड़ा। कर्नाटक के कोलार जिले में तैनाती के दौरान डी.ए.रविकुमार ने भूमाफियाओं का जीना दुश्वार कर दिया था, जिस कारण इस ईमानदार अधिकारी को आम जनता भी काफी पसंद करती थी। लेकिन संदिग्ध परिस्थितियों में आईएएस डी.ए.रविकुमार ने आत्महत्या कर ली थी। हालांकि आईएएस अधिकारी की आत्महत्या पर लोगों ने गंभीर सवाल खड़े किए और इसके पीछे भूमाफिया का हाथ बताया जा रहा है।
यशवंत सोनावने
साल 2011 में महाराष्ट्र के मालेगांव जिले में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर यशवंत सोनावने को जिंदा जलाकर मार डाला गया था। दरअसल IAS यशवंत सोनावने ने तेल माफिया के खिलाफ जंग छेड़ रखी थी। इसी के तहत आईएएस अधिकारी ने कालाबाजारी करके जमा किया हुआ कई हजार लीटर केरोसिन और पेट्रोल जब्त कर लिया था। इसी से गुस्साए तेल माफिया ने आईएएस अधिकारी पर केरोसिन डालकर आग लगा दी थी, जिससे आईएएस अधिकारी की मौत हो गई थी।
नरेंद्र कुमार
इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के अधिकारी नरेंद्र कुमार को भी अपनी ईमानदारी की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी थी। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में खनन माफिया के खिलाफ कारवाई करने के कारण उनकी हत्या कर दी गई थी। बता दें कि देश में अवैध खनन बहुत ही बड़ी समस्या है, लेकिन यह इतने बड़े स्तर पर होता है कि इसमें सरकारों की भूमिका भी सवालों के घेरे में हैं। आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार ने इसे रोकने की कोशिश की तो उनकी हत्या कर दी गई।
ये कुछ उदाहरण उच्च स्तर के अधिकारियों के हैं, जिनके मामले मीडिया की सुर्खियां बने। लेकिन इनके अलावा भी छोटे-बड़े स्तर पर कितने ही अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की मुखालफत करने का खामियाजा भुगता है, कभी अपनी जान देकर तो कभी सिस्टम से प्रताड़ित होकर। ऐसे में सवाल उठता है कि एक तरफ तो सरकारें भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करती हैं, वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचारियों को क्षय (Shelter) दी जा रही है ? बहरहाल यदि हमें देश से भ्रष्टाचार को मिटाना है तो ईमानदार अधिकारियों का समर्थन करना होगा और सरकारों पर दबाव बनाना होगा ताकि भ्रष्टाचारियों को राजनैतिक समर्थन ना मिल सके।